आइये जानते हैं  कैसे होता है दलाई लामा का चयन?

पुनर्जन्म की परंपरा

01

तिब्बती बौद्ध मान्यता के अनुसार, दलाई लामा मृत्यु के बाद पुनः जन्म लेते हैं ताकि वे मानवता की सेवा जारी रख सकें।

मृत्यु के 9 महीने बाद शुरू होती है खोज

02

पुराने दलाई लामा के देहांत के लगभग 9 से 18 महीने बाद नए अवतार की खोज आरंभ होती है।

संकेत और स्वप्नों की भूमिका

03

पिछले दलाई लामा अक्सर अपनी मृत्यु से पहले भविष्यवाणी या संकेत छोड़ जाते हैं—जैसे कोई सपना, किसी नदी की दिशा, या स्थान का नाम।

लामाओं और ज्योतिषियों की खोज

04

वरिष्ठ बौद्ध लामाओं की टीम इन संकेतों के आधार पर विभिन्न स्थानों में नवजात या छोटे बच्चों को खोजती है।

परख की परंपरा

05

संभावित बच्चों को पुराने दलाई लामा की वस्तुएं जैसे माला, कपड़े या कटोरा दिखाए जाते हैं। अगर बच्चा उन्हें सही ढंग से पहचान लेता है, तो वह एक मजबूत संकेत माना जाता है।

धर्म रक्षकों से परामर्श

06

तांत्रिक साधना, ध्यान, और आध्यात्मिक रक्षक देवताओं (Dharma Protectors) से भी सलाह ली जाती है।

गैडेन फोडरंग ट्रस्ट की भूमिका

07

हालिया घोषणा के अनुसार, अब अगला दलाई लामा केवल Gaden Phodrang Trust की अनुमति और प्रक्रिया से ही मान्यता पाएगा।

अगली बार फिर मिलेंगे एक नई रोचक और सच्ची स्टोरी के साथ...