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हनुमान जी के परम भक्त नीम करौली बाबा: एक अलौकिक संबंध की रहस्यमयी गाथा

नीम करौली बाबा

नीम करौली बाबा

भारत की पावन भूमि पर, जहां सदियों से भक्ति और धर्म की नदियाँ बहती आई हैं, अनेक संतों ने अपनी जीवन गाथाएँ लिखी हैं। उनमें एक महान संत थे नीम करौली बाबा। उनका जीवन हनुमान जी के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति का सच्चा उदाहरण है। आज हम उनकी जीवन यात्रा और उनके और हनुमान जी के बीच के गहरे रिश्ते को समझने का प्रयास करेंगे।

नीम करौली बाबा कौन थे?

नीम करौली बाबा का जन्म उत्तर भारत के एक पवित्र ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनके भीतर एक अलग ही शांति, गहराई और गंभीरता दिखाई देती थी। जहाँ दूसरे बच्चे मैदानों में खेल-कूद में मग्न रहते, वहाँ यह बालक किसी वृक्ष की छाँव में बैठा, न जाने किन अनजानी बातों में खोया रहता था — मानो किसी पुराने जन्म का ऋषि, पुनः इस धरती पर आया हो और बाल रूप में ही संसार से विमुख होकर आत्मा की खोज में लग गया हो।

उनका असली नाम था लक्ष्मण दास। लेकिन धीरे-धीरे जैसे-जैसे उन्होंने तप, ध्यान और सेवा के रास्ते पर कदम बढ़ाया — लोग उन्हें “नीम करौली बाबा” के नाम से जानने लगे।

आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत

उनकी साधना सरल थी, पर असर गहरा। गुरु के सान्निध्य में उन्होंने ध्यान और तपस्या आरंभ की। जल्दी ही उनका मन परमात्मा की ओर आकृष्ट हो गया। बाबा के लिए हनुमान जी केवल एक देवता नहीं, बल्कि जीवन का आधार थे।
उनके जीवन से जुड़ी एक प्रसिद्ध घटना है, जो आज भी श्रद्धा से सुनाई जाती है। बात उन दिनों की है जब बाबा एक गाँव से रेल में यात्रा कर रहे थे। उन्होंने टिकट नहीं लिया था, और जब रेल के अधिकारियों ने उन्हें देखा, तो नियम के अनुसार उन्हें ट्रेन से नीचे उतार दिया गया। परन्तु जैसे ही ट्रेन आगे बढ़ने लगी — वह एक इंच भी न सरकी। चालक ने हर कोशिश की, पर इंजन हिला भी नहीं। उस समय वहां के लोग और यात्री आश्चर्यचकित रह गए।

किसी ने कहा, “बाबा को फिर से बुलाओ… हो सकता है गाड़ी उन्हीं के कारण रुकी हो।” जब उन्हें श्रद्धा से वापस बुलाया गया और सम्मानपूर्वक ट्रेन में बैठाया गया — तभी रेल ने चलना शुरू किया।

उस दिन से लोगों के मन में यह बात घर कर गई — यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं, कुछ अलौकिक शक्ति है इनमें।
और तभी से उन्हें लोग श्रद्धा से “चमत्कारी बाबा” कहने लगे।

हनुमान जी के प्रति बाबा का अटूट समर्पण

हनुमान चालीसा उनके दैनिक जीवन का हिस्सा था। वे कहते थे, “यह केवल पाठ नहीं, एक जीवन दर्शन है। इसमें साहस, विश्वास और सेवा की शक्ति है।” बाबा की यही भक्ति उन्हें हनुमान जी के सच्चे भक्तों में से एक बनाती है।

नीम करौली बाबा और हनुमान जी के बीच का रहस्यमयी संबंध

अनेक बार उनके भक्तों ने बाबा के अनुभवों के बारे में कहा कि उन्होंने हनुमान जी के दर्शन देखे। ये अनुभव न केवल बाबा के लिए, बल्कि उनके आस-पास के लोगों के लिए भी आशीर्वाद बन गए। उनकी कथाएँ आज भी लोगों के मन में श्रद्धा और विश्वास जगाती हैं।

अलौकिक अनुभव और दर्शन

नीम करौली बाबा का जीवन सेवा और समाज सुधार से भी जुड़ा था। उनका आश्रम न केवल आध्यात्मिक केंद्र था, बल्कि वहां शिक्षा और सेवा के कार्य भी होते थे। उनके शिष्य और भक्त उनकी शिक्षाओं को जीवन में उतारकर समाज में बदलाव लाए। उनका संदेश सरल था — भक्ति के साथ सेवा जरूरी है, और साधना के बिना भक्ति अधूरी। वे कहते थे कि सच्चा आध्यात्मिक जीवन तभी संभव है, जब ये तीनों मिलकर हमारे कर्मों का मार्ग प्रशस्त करें।

बाबा का सामाजिक और धार्मिक प्रभाव

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में उनकी ये बातें हमें जीवन के वास्तविक मूल्यों की याद दिलाती हैं — प्रेम, समर्पण और शांति। नीम करौली बाबा की भक्ति और सेवा की कहानी हमें यह सिखाती है कि जब भक्ति निःस्वार्थ और सच्ची होती है, तब वह चमत्कार भी कर सकती है। इस प्रकार, नीम करौली बाबा भारतीय आध्यात्मिक परंपरा के उन उज्जवल सितारों में से एक हैं, जिनकी रोशनी आज भी हमारे मार्ग को प्रकाशित करती है।

उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित कैंची धाम आश्रम बाबा का सबसे सभी आश्रमों में से सबसे प्रसिद्ध आश्रम है नैनीताल से कुछ दूरी पर स्थिति यह स्थल प्रकृति की गोद में बसा हुआ है बाबा का आश्रम इमारत ही नहीं बल्कि एक जीवन से तपो भूमि भी है यहाँ आपको हनुमान जी के साथ साथ उनके परमभक्त नीम करोली बाबा के भी दर्शन होंगे यहां श्रद्धा सर झुकाती है और आत्मा को भीतर से एक अजीब सी शांति का अनुभव होता है अगर आपको भी कभी मौका मिले तो आप कैंची धाम जाने का अवसर कभी मत छोड़िएगा।

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